मालविका हरिओम इन किताबों में कुछ तो होता है ओस बनकर जो मन भिगोता है इल्म के एक-एक मोती को रूह की तार में पिरोता है कोई तो है जो ग़म सँजोता है इन किताबों में कुछ तो होता है ज़िन्दगी के हसीन पन्नों पर जब वो तारीख़ मुस्कुराती है तेरी यादों की तितलियों […]Read More