डॉ. नीलू नीलपरी
पूल टेस्टिंग भारत न-न करते हुए भी संक्रमण 3 की स्टेज पर पहुंच चुका है। ऐसे वक्त में सिर्फ सावधानी ही बचाव है। घर पर रहकर पूर्ण लॉकडाउन का पालन करना ही अपने, अपने परिवार और देश हित में है।
मोदी जी की सप्तपदी को समझें और पालन हम सभी करें..
1. घर के बुज़ुर्गों का विशेष ख्याल रखें, खासतौर पर जो पहले से बीमार हैं
2. लॉकडाउन एंड social distancing का पालन करें, फेस मास्क ज़रूर लगाएं, घर पर बना तो अच्छा
3. रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बढ़ाने के लिए गर्म पानी, काढ़ा, तुलसी, अदरक, हल्दी का प्रयोग करें
- कोरोना के बचाव के लिए बनी आरोग्यसेतु एप्प डाउनलोड करें
- जितना हो सके गरीब परिवारों की देखरेख करें, उन्हें खाना दें पर लंगर की तरह अफरातफरी न मचाएं
- अपने उद्योग में काम कर रहे employees को नौकरी से न निकलें
- देश के कोरोना योद्धाओं जैसे डॉक्टर्स, नर्सेज, सफाई कर्मचारी, पुलिस का सम्मान करें।
अपने देश के सीमित साधनों को देखते हुए, एक बात जो दिमाग मे आ रही हैं, कि कन्टेनमेंट या सील क्षेत्र में हर एक व्यक्ति का कोविद-19 टेस्ट करने के बजाए क्यों न “पूल टेस्ट” किया जाए।
क्या होता है पूल टेस्ट?
जब संभावित जनसंख्या में हर 10, 20 या 50 लोगों का अलग-अलग ग्रुप बना लिया जाता है, हर ग्रुप के व्यक्तियों का टेस्ट सैंपल लेकर अलग भी रखा जाता हैं, पर उसको एक साथ मिलाकर एक टेस्ट किट इस्तेमाल करके एकसाथ यही पूल टेस्ट किया जाता है। जिस ग्रुप का टेस्ट नेगेटिव पाया जाए, उन व्यक्तियों को बीमारी नहीं। पर जिस ग्रुप का एकसाथ वाला एक किट से किया पूल टेस्ट पॉजिटिव आये, फिर उस ग्रुप के हर व्यक्ति के पहले संभाले/ रखे गए अलग टेस्ट किया जाए।
पूल टेस्ट का फायदा
टेस्ट किट की बचत। मान लीजिये 100 लोगों का टेस्ट करना है, तो अलग से 100 किट इस्तेमाल होंगी, पर अगर 10-10 व्यक्तियों के 10 ग्रुप बने तो 10 किट इस्तेमाल होंगी। सिर्फ जिस ग्रुप में टेस्ट पॉजिटिव, उस ग्रुप के हर व्यक्ति के पहले लिए सैंपल का अलग टेस्ट। वक़्त-पैसे-किट सबकी बचत।
क्या भारत में पहले पूल टेस्ट को अपनाया गया?
जी हां, सिफिलिस जैसे यौन-संक्रमण में 2015 पूल टेस्टिंग द्वारा मरीजों की टेस्टिंग की गई।
Covid-19 और पूल टेस्टिंग
अंडमान-निकोबार में पिछले 10 दिन से कोरोना की पूल टेस्टिंग चल रही है और उसकी सफलता को देखते हुए कुछ समय में उत्तर प्रदेश भी ICMR की सलाह से पूल टेस्टिंग को अपना सकता है।
सच है, इस भारी विपदा के समय में जान के साथ साथ आर्थिक दशा देखते हुए संसाधनों की बचत पर सरकारों के साथ साथ हमें भी समझना और संभालना ज़रुरी हो गया है।