डॉ. नीलू नीलपरी पूल टेस्टिंग भारत न-न करते हुए भी संक्रमण 3 की स्टेज पर पहुंच चुका है। ऐसे वक्त में सिर्फ सावधानी ही बचाव है। घर पर रहकर पूर्ण लॉकडाउन का पालन करना ही अपने, अपने परिवार और देश हित में है। मोदी जी की सप्तपदी को समझें और पालन हम सभी करें.. 1. […]Read More
Neeloo Neelpuri is an educationist, a poet and an author rolled into one.
कामपिपसुओं अब सम्भल जाओ ठरकी बलात्कारियों सोच बदल लो पोर्न देखना हर पल दोहराना बन्द करो हर बेटी, हर नारी में अपनी बहन-बेटी देखो गलत भावना सर उठाये तो निर्भया को याद कर लो देखो ये झूलता फांसी का फंदा रोक लो अपने नापाक हाथ कल को ये न हो: तुम्हारी माँ की कोख सूनी […]Read More
सुहाग के सारे चिन्ह ज़रूरत से ज़्यादा स्पष्ट रूप में लगाए हुए, अजब-गजब इश्टाइल में फोटो खिंचवाती, सोशल मीडिया पर पोस्ट करती चालीस-पैंतालीस के पार की स्त्री जब अपने पति के एगोइस्ट, माँ के एप्रन से बंधे हुए, सिर्फ खुद के कैरियर पर ध्यान देने वाले मोरोन जिसको मेरी-मेरी इच्छाओं की परवाह नहीं के दुखड़े […]Read More
An early winter morning As I step down from the cosy confines of my home I witness Hoards of small children Sleeping under the stars Engulfed in the sheet of Mist, Smog and Fog These are street children Most name them ‘urchins’ Some set out for begging Others exploited as child labour Their bodies and […]Read More
करवाचौथ पर उन नारियों के समक्ष दुविधा जिनके पति उनके लिए “परमेश्वर” न बन सके….!!!!!!! कहीं जिस्म पर हैं अनेकों नीले-काले घाव कहीं दिल औ आत्मा छलनी-लहुलुहान फिर भी हर पतिव्रता भारतीय ब्याहता नारी करे हर वर्ष कार्तिक में करवाचौथ का निर्वाह स्वयं भूखे पेट दिनभर बाट निहारे पूर्ण चन्द्र औ व्यसनी पति-परमेश्वर की चंदा […]Read More
भारतीय मर्द को कल भी और आज भी सिर्फ भोग्या और अन्नपूर्णा ही चाहिए। जो बैडरूम में मेनका बन कर मात्र उनका मनोरंजन, घर के बाहर सर से पांव तक ढकी सीता, रसोई में अन्नपूर्णा की प्रतिमा मास्टरशेफ, उनके बनाये घरनुमा पिंजरे की एवं वंश को बढ़ाने वाली संतानों की बेस्ट केयरटेकर, नौकरी और घर […]Read More
औरत क्या है? क्या सिर्फ एक शरीर, एक अंग, नर और मादा के भेद का निर्णायक मापदंड है? क्या पितृसत्तात्मक सोच आदमी और औरत के भेद को बढ़ाने के लिए बनी या समाज को समझने और सामाजिक कार्यप्रणाली को एक सरलतम रूप देने के लिए बनी? सभी अपने बेटे, बेटी, पति-पत्नी, माता-पिता, भाई-बहन, दोस्त-सखी को […]Read More
विश्व शांति दिवस 21 सितंबर पर सादर समर्पित जिंदगी पल पल बदल रही है। परिवर्तन ही सृष्टि का नियम सदा से रहा है। एक पल में जाने क्या क्या बदल जाने वाला है। जो आज अपना है कल एक झटके में ख़ाक हो जाने वाला है। तो किस गुरुर में रहते हैं हम? अपने से […]Read More
हिंदी देश की आत्मा में बसती है दोस्तों शरीर नश्वर पर आत्मा कभी नहीं मरती आत्मा को अगर हम अजर – अमर मानें तो हिंदी सदा हमारे लफ़्ज़ों में, रूह में है हिंदी पर गर्व है मुझे, हिंदी से मुझे प्यार है विज्ञान की छात्रा होने के कारण दसवीं तक हिंदी पढ़ी, वो भी मात्र […]Read More
जब नारी खुद में रखती इतना दम बिना उफ्फ झेले घर-समाज के गम पलायन ही क्या नीलपरी मुसीबत का अंत क्यों आज नर में दमखम इतना कम वैसे तो हर एक जान की कीमत अनमोल है, परन्तु इतने उच्च पदासीन व्यक्ति का ऐसा दुःखद अंत सामाजिक और राष्ट्रीय क्षति भी है। तीस वर्षीय आइपीएस सुरेंद्र […]Read More