Poem

क्या लिखूँ

राजकुमारी शर्मा तन्खा

मैं जीत लिखूँ, कि हार लिखूँ
या दिल का पूरा हाल लिखूँ

अपने सपनों का सार लिखूँ
या सच की सारी बात लिखूँ

उगते रवि का उल्लास लिखूँ
या ढलते दिनकर का हाल लिखूँ

पहले सावन की फुहार लिखूँ
या नैनों की बरसात लिखूँ

माँ की ममता और प्यार लिखूँ
या पापा का नेह अपार लिखूँ

वो तुमसे पहली रार लिखूँ
या अपना निश्चल प्यार लिखूँ

मैं तुमको अपने पास लिखूँ
या दूरी का एहसास लिखूँ

लिखूँ सागर का गहरापन,
या फिर सरिता का मरु मिलन

लिखूँ अंबर का विस्तारण,
या धरती का धीरज धारण

लिखूँ वन का वो गहन सृजन
या फिर प्रकृति का अति दोहन

क्या सचमुच सारी बात लिखूँ ?
या फिर सीमित जज़्बात लिखूँ

मैं ये लिखूँ या वो लिखूँ
ऐ दिल तू बता मैं क्या लिखूँ

क्या लिखूँ जो शीतलता दे
अवसादन को क्षमता दे दे

दुखते मन को जो खुशियाँ दे
एकाकी को संबल दे दे

जो हर ले हर दिल का खालीपन
और हर्षित कर दे तन और मन

भर दे आशा की नई किरण
निर्मल शुचिता की मंद पवन

दिल तू बता मैं क्या लिखूँ
आधा लिखूँ पूरा लिखूँ
इतना लिखूँ उतना लिखूँ
कम लिखूँ कि ज्यादा लिखूँ
कितना लिखूँ
अब तू ही बता कि क्या लिखूँ

Exit mobile version