कामपिपसुओं अब सम्भल जाओ
ठरकी बलात्कारियों सोच बदल लो
पोर्न देखना हर पल दोहराना बन्द करो
हर बेटी, हर नारी में अपनी बहन-बेटी देखो
गलत भावना सर उठाये तो निर्भया को याद कर लो
देखो ये झूलता फांसी का फंदा
रोक लो अपने नापाक हाथ
कल को ये न हो:
तुम्हारी माँ की कोख सूनी हो
तुम्हारी बहन की राखी रोये
तुम्हारी पत्नी की मांग सूनी हो
तुम्हारी बेटी शर्मसार हो
तुमको पापा बोलने से झिझके बेटी
देखो ये झूलता फांसी का फंदा
चंडी है माँ भारती की हर बेटी अब
रोयेगी नहीं पापियों का संहार करेगी अब
आंख में अंगारे लिए,प्रतिशोध की अलख जगाये
इंसाफ की गुहार लगाई धूनी रमाये बैठी अब
देखो ये झूलता फांसी का फंदा
कानून के हाथ लम्बे ये भी संज्ञान में लो असुरों
विनय-अक्षय-मुकेश-पवन की तरह गुनाहगारों
झूल जाओगे फांसी के फंदे पर तुम दोषियों
सम्भल जाओ के अगला नम्बर तुम्हारा रेपिस्टों
देखो ये झूलता फांसी का फंदा